डाली पर चिड़िया कबसे चहचहा रही हैं,
सागर की लहरें शोर यूँ मचा रही हैं,
कब तक इंतज़ार कराओगी हमें,
ये प्यारी सी सुबह तुमको बुला रही है.
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डाली पर चिड़िया कबसे चहचहा रही हैं,
सागर की लहरें शोर यूँ मचा रही हैं,
कब तक इंतज़ार कराओगी हमें,
ये प्यारी सी सुबह तुमको बुला रही है.
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